दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय गुस्सा
मै ऐसा मानती हूं कि आज तक मुझे गुस्सा नही आया ,जब जब प्रश्न उठे अंतर मन मे अपने ही अंदर दोष पाया।
मुझे किसी ने कुछ कहा डांटा फिर भी गुस्सा न कर सकी ,अपनी ही गलती नजर आई ,गुस्सा सवाल खत्म हुआ ।
तभी मै हमेशा मस्त तरुणिम मे रहती हूं ,गुस्सा करने वालों को हर्षाती हूं ।गुस्सा को थूकों प्रेम से जियो जीने दो ।
ये प्रेम करले वन्दे सब तेरा यही धरा रह जाएगा ,प्रेम ही साथ मे जाएगा सबके
क्यू झूठ बोल रहा मानव ये मेरा बो तेरा ।
सबको प्यार भरी बातों से दिल जीतों सभी का।गुस्सा अपने आप ही गायब हो जावेगा,बस प्रेम ही नजर आवेगा।
गुस्सा जहां जायज हो वहां करो दोस्तों अकारण गुस्सा मूर्खता हैं,ऐसी जगह गुस्सा करो अपनी बहिन बेटी व किसी पीड़ित को कोई सताए यहां जायज है।
सुनीता गुप्ता ,सरिता,कानपुर
Supriya Pathak
11-Oct-2022 06:40 PM
Bahut khoob 🙏🌺
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Suryansh
10-Oct-2022 08:55 PM
बहुत ही उम्दा और सशक्त लेखन
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Pratikhya Priyadarshini
08-Oct-2022 11:17 PM
Shaandar 👌🌸👍💐🌺
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